मिट्टी की सोंधी सुगंध से सद्भावों की अलख जगाएँ। मिट्टी की सोंधी सुगंध से सद्भावों की अलख जगाएँ।
पत्थरों को रगड़ा और आग लगा दी हमने, मजहब और सियासत को हवा दी हमने। पत्थरों को रगड़ा और आग लगा दी हमने, मजहब और सियासत को हवा दी हमने।
आया ऋतुराज वसंत मिट्टी सोंधी सी महक उठी है, मेरे आँगन में भी चिड़िया चहकी है। आया ऋतुराज वसंत मिट्टी सोंधी सी महक उठी है, मेरे आँगन में भी चिड़िया चहक...
आज फिर से खिल उठी हूँ मैं कई अर्से बाद जैसे उठ गयी हूँ मैं। आज फिर से खिल उठी हूँ मैं कई अर्से बाद जैसे उठ गयी हूँ मैं।
और अपने भाग्य तक पहुंचता हूं, और यह मेरे व्यक्तित्व को तैयार करता है। और अपने भाग्य तक पहुंचता हूं, और यह मेरे व्यक्तित्व को तैयार करता है।
भूरी मिट्टी सा बन जाऊँ भूरी मिट्टी सा बन जाऊँ